"मेरे महावीर भगवान ग्रुप"
विषय - गोचरी
वार- बुधवार, 27/03/2018
प्रश्न पत्र :11
प्रश्न १:पहले दिन जिस घर से भिक्षा ली हो, दूसरे दिन विहार करते क्या वहां से भिक्षा ली जा सकती है ?
उत्तर : नहीं, दूसरे दिन विहार हो तो भी उस घर से भिक्षा नहीं ले सकते हैं।
प्रश्न २: किस स्थिति में ले जा सकते हैं ?
उत्तर :स्थान परिवर्तन या स्वामी परिवर्तन हो तो ले सकते हैं
प्रश्न ३:स्थान - स्वामी परिवर्तन का अर्थ क्या है ?
उत्तर : एक स्थान पर आज भिक्षा ली, दूसरे दिन उस स्थान पर दूसरा परिवार आ गया हो तो उसकी भिक्षा ले सकते हैं। यहीं बात स्थान परिवर्तन की है।
प्रश्न ४:क्या साधु बीमार अवस्था में औषधि के रूप में दूध, दही आदि नित्य पिण्ड ले सकते हैं ?
उत्तर : सत् पिण्ड उपलब्ध न हो तो बीमार अवस्था में नित्य पिण्ड ले सकते हैं।
प्रश्न ५: गर्भवती स्त्री के हाथ से भिक्षा लेने की क्या विधि हैं?
उत्तर : खड़े बैठे जिस स्थिति में हो, उसी स्थिति में बहराए तो गर्भवती स्त्री के हाथ से भिक्षा ली जा सकती है।
नोट--- ये नियम साधु- साध्वी दोनों के लिए हैं
आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं।
"मेरे महावीर भगवान ग्रुप"
विषय - गोचरी
वार- बुधवार, 21/03/2018
प्रश्न पत्र :10
प्रश्न १:क्या साधु चातुर्मास में विहार कर सकते हैं ?
उत्तर : विशेष परिस्थिति में कर सकते हैं। जैसे - राजाज्ञा, दैविक उपद्रव, प्लेग आदि रोग या आचार्य उपाध्याय का संथारा ग्लान सेवा आदि दस कारण बताए गए हैं।
प्रश्न २: क्या साधु बासी खाना ले सकते ? नहीं तो क्यों ?
उत्तर : श्रावण भाद्रव को छोड़ कर बासी आहार लिया जा सकता है। श्रावण भाद्रव में लीलन - फुलन की संभावना रहती है।
प्रश्न ३:क्या साधु आमन्त्रित भोजन ले सकते हैं ?
उत्तर : नहीं, वे किसी गृहस्थ का निमंत्रण स्वीकार नहीं करते।
प्रश्न ४:लीलन - फुलन वाले घडे का पानी क्या साधु को बहरा सकते हैं ?
उत्तर : नहीं, क्योंकि लीलन - फुलन वनस्पति काय के जीव हैं, उनको कष्ट होता है।
प्रश्न ५: क्या साधु एक ही घर से नित्य पिंड (प्रतिदिन) भिक्षा ले सकते हैं ?
उत्तर : बिना कारण के नहीं ले सकते हैं।
नोट--- ये नियम साधु- साध्वी दोनों के लिए हैं
आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं।
"मेरे महावीर भगवान ग्रुप"
विषय - गोचरी
वार- बुधवार, 014/03 /2018
प्रश्न पत्र :10
प्रश्न १:क्या साधु चातुर्मास में विहार कर सकते हैं ?
उत्तर : विशेष परिस्थिति में कर सकते हैं। जैसे - राजाज्ञा, दैविक उपद्रव, प्लेग आदि रोग या आचार्य उपाध्याय का संथारा ग्लान सेवा आदि दस कारण बताए गए हैं।
प्रश्न २: क्या साधु बासी खाना ले सकते ? नहीं तो क्यों ?
उत्तर : श्रावण भाद्रव को छोड़ कर बासी आहार लिया जा सकता है। श्रावण भाद्रव में लीलन - फुलन की संभावना रहती है।
प्रश्न ३:क्या साधु आमन्त्रित भोजन ले सकते हैं ?
उत्तर : नहीं, वे किसी गृहस्थ का निमंत्रण स्वीकार नहीं करते।
प्रश्न ४:लीलन - फुलन वाले घडे का पानी क्या साधु को बहरा सकते हैं ?
उत्तर : नहीं, क्योंकि लीलन - फुलन वनस्पति काय के जीव हैं, उनको कष्ट होता है।
प्रश्न ५: क्या साधु एक ही घर से नित्य पिंड (प्रतिदिन) भिक्षा ले सकते हैं ?
उत्तर : बिना कारण के नहीं ले सकते हैं।
नोट--- ये नियम साधु- साध्वी दोनों के लिए हैं
आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं।
"मेरे महावीर भगवान ग्रुप"
विषय - गोचरी
वार- बुधवार, 27/02 /2018
प्रश्न पत्र :9
प्रश्न १: एषणा के तीन प्रकार कौन-से है ?
उत्तर : गवेषणा-आहार-पानी की निर्दोष खोज, ग्रहगवेषणा - लेना, परिभौगेषणा_समता से भोगना
प्रश्न २: क्या साधु नमक ले सकते हैं ?
उत्तर : काले नमक को छोड़कर दुसरा अचित किया हुआ हो तो ही ले सकते हैं
प्रश्न ३: साधु फलों का रस (जूस) ले सकते हैं ?
उत्तर : जमींकंद को छोड़कर ले सकते हैं। जमींकंद के रस में दूसरी पर्याप्त मात्रा में मिली हो तो दस मिनट बाद ले सकते हैं।
प्रश्न ४:जमींकंद का रस क्यों नही ले सकते हैं ?
उत्तर : जमींकंद के रस को भी सचित ही माना गया है
प्रश्न ५: लवंग, काली मिर्च,सूंठ, इलायची आदि बहराने की क्या पद्धति हैं?
उत्तर : लवंग, सूंठ हल्दी आदि सीधे बहरा सकते हैं कालीमिर्च इलाइची आदि पीसे हुए या अचित किए हुए होतो बहरा सकते हैं
नोट--- ये नियम साधु- साध्वी दोनों के लिए हैं
आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं।
"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"
"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"
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