निग्रंथ शासन
निग्रंथ संघ - संयम, त्याग और अहिंसा की भूमिका पर अधिष्ठित हैं| अनंत आलोक पुंज महाबली तीर्थंकर उसके संस्थापक और गणधर संचालक होते हैं| तीर्थंकर की अनुपस्थिति में इस महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन आचार्य करते हैं| आचार्य विशुद्ध आचार संपदा के स्वामी होते हैं| वह 8 गणि संपदा और 36 गुणों से अलंकृत होते हैं| दीपक की तरह स्वयं प्रकाशमान बनकर जन-जन के पथ को आलोकित करते हैं| सहस्त्रो सहस्त्रो जीवन नौकाओं को भवाब्धि के पार पहुंचाते हैं|
आचार्यों की गौरवमयी परंपरा का प्रारंभ
वर्तमान जैन शासन भगवान महावीर की देन है| भगवान महावीर के पश्चात उनके विशाल संध को जैन आचार्यों ने संभाला| जैनाचार्यो विराट व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व के धनी थे| वे सूक्ष्म चिंतन एवं सत्य दृष्टा थे| धैर्य औदार्य और गाम्भीर्य उनके जीवन के विशेष गुण थे |