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Karyasala

तत्व ज्ञान

???????? "मेरे महावीर भगवान ग्रुप"????????

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 26/01/2018

प्रश्न पत्र- 76

संवर तत्त्व

Q.1 आगमों में समागत पंडित, बाल और बाल पंडित का संबंध संवर से है या निर्जरा से?
Ans. इनका संबंध संवर से है, निर्जरा से नहीं। पंडित का संबंध व्रत संवर से है। यह छठे से चौदहवें गुणस्थान तक होता है। पांचवां गुणस्थान बाल पंडित होता है क्योंकि इसमें व्रत-अव्रत दोनों होते हैं। बाल पंडित में सम्यक्त्व संवर होता है। पहले से चौथे गुणस्थान को बाल कहा है। व्रत का सर्वथा अभाव होने से बल कहा है। इसी कारण संवर नहीं होता।

Q.2 संवर औदारिक शरीर में ही होता है या अन्य शरीर में भी?
Ans. तैजस व कार्मण शरीर संसारी जीवों के सदा रहता ही है। स्थूल शरीरों में जन्मना औदारिक शरीर बालों के संवर हो सकता है। जन्मना वैक्रिय शरीर वालों (देव, नारक) के संवर नहीं होता, किन्तु वैक्रियकृत शरीर वालों के (मनुष्य एवं गर्भज तिर्यंच) के संवर हो सकता है। आहारक शरीर वालों के संवर होता हैं।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

???????? MMBG परिवार ????????

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तत्व ज्ञान

???????? "मेरे महावीर भगवान ग्रुप"????????

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 26/01/2018

प्रश्न पत्र- 76

संवर तत्त्व

Q.1 आगमों में समागत पंडित, बाल और बाल पंडित का संबंध संवर से है या निर्जरा से?
Ans. संवर से

Q.2 संवर औदारिक शरीर में ही होता है या अन्य शरीर में भी?
Ans. औदारिक मे ही

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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तत्व ज्ञान

???????? "मेरे महावीर भगवान ग्रुप"????????

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 26/01/2018

प्रश्न पत्र- 76

संवर तत्त्व

Q.1 आगमों में समागत पंडित, बाल और बाल पंडित का संबंध संवर से है या निर्जरा से?
Ans. 

Q.2 संवर औदारिक शरीर में ही होता है या अन्य शरीर में भी?
Ans.

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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तत्व ज्ञान

???????? "मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"????????

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 19/01/2018

प्रश्न पत्र- 75

संवर तत्त्व

Q.1  क्या सभी सम्यक्त्वी मनुष्यों के संवर होता है?
Ans. सभी सम्यक्त्वी मनुष्यों के संवर नहीं होता। तीस अकर्म भूमि के यौगलिक सम्यक्त्वी तो हो सकते हैं, किन्तु श्रावक व साधु नहीं बन सकते। अत: उनमें संवर तत्त्व नहीं होता। गृहस्थ अवस्था में तीर्थंकर, चक्रवतीं, बलदेव, वासुदेव को पांचवां गुणस्थान नहीं आता, इसलिए एक निश्चित कालमान तक इनमें संवर होता ही नहीं। शेष मनुष्यों में संवर हो सकता है।

Q.2 संवर जीव कैसे है?
Ans. संवर सामायिक चारित्र है। आगमों में सामायिक को आत्मा कहा है। आठ आत्माओं में चारित्र का समावेश है, अत: संवर जीव है।

Q.3 मोक्ष में चरित्र नहीं माना है। मोक्ष जाते समय चारित्र छूट जाता है, फिर क्या मोक्ष प्राप्ति में चारित्र हेय हो गया?
Ans. मोक्ष प्राप्ति में चारित्र हेय नहीं होता। चारित्र आश्रव अवरोधक आत्म परिणाम है। मोक्ष में आश्रव नहीं है, अत: उसका अवरोधक संवर भी नहीं है किन्तु चारित्र की आत्म-उज्ज्वलता उसमें विद्यमान है।

Q.4 अल्पाबहुत्व की अपेक्षा से संवर युक्त जीव ज्यादा हैं या निर्जरा युक्त जीव?
Ans. संवर युक्त जीव असंख्य हैं और निर्जरा युक्त जीव अनन्त हैं। संवर दस गुणस्थानों में होता है, जबकि निर्जरा चौदह गुणस्थानों में ही होती है अत: निर्जरा युक्त जीव ज्यादा है।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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तत्व ज्ञान

???????? "मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"????????

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 19/01/2018

प्रश्न पत्र- 75

संवर तत्त्व

Q.1  क्या सभी सम्यक्त्वी मनुष्यों के संवर होता है?
Ans. 

Q.2 संवर जीव कैसे है?
Ans. 

Q.3 मोक्ष में चरित्र नहीं माना है। मोक्ष जाते समय चारित्र छूट जाता है, फिर क्या मोक्ष प्राप्ति में चारित्र हेय हो गया?
Ans. 

Q.4 अल्पाबहुत्व की अपेक्षा से संवर युक्त जीव ज्यादा हैं या निर्जरा युक्त जीव?
Ans.

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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तत्व ज्ञान

???????? "मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"????????

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 12/01/2018

प्रश्न पत्र- 74

संवर तत्त्व

Q.1 क्या संवर चारों गतियों में होता है?
Ans. देव और नरक, इन दो गतियों में संवर नहीं होता। मनुष्य और तिर्यंच, इन दो गतियों में संवर तत्त्व की निष्पत्ति हो सकती है।

Q.2 क्या सभी तिर्यंचों में संवर की निष्पत्ति हो सकती है?
Ans. नहीं, केवल समनस्क तिर्यांचों में ही संवर संभाव्य है।

Q.3 देवता व नारक में संवर क्यों नहीं होता?
Ans. देवता व नारक में अप्रत्याख्यानी कषाय चतुष्क का निरन्तर उदय रहता है। उसके उदय रहते संवर नहीं होता।

Q.4 समनस्क तिर्यंचों में निसर्ग सम्यक्त्व होती है या अधिगम सम्यक्त्व?
Ans. तिर्यंचों में अधिगम सम्यक्त्व मानी गई है। वहां किसी न किसी निमित्त से सम्यक्त्व की प्राप्ति होती है।

Q.5 तिर्यंचों के सम्यक्त्व प्राप्ति में कौन-कौन से निमित्त हो सकते हैं ?
Ans. तिर्यंचों के सम्यक्त्व प्राप्ति के तीन हेतु माने गये हैं –
      १.तीर्थंकरों, सर्वज्ञों तथा मुनियों के उपदेश से।
      २. पूर्व जन्म के मित्र देव की प्रेरणा से।
      ३. जाति स्मरण ज्ञान की प्राप्ति से।

मनुष्य लोक में तीनों हेतुओं से तथा मनुष्य लोक से बाहर अंतिम दो हेतुओं से सम्यक्त्व की प्राप्ति हो सकती है। उन्हीं के संवर हो सकता है।

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 05/01/2018

प्रश्न पत्र- 73

संवर तत्त्व

Q.1 अयोग संवर कौन से गुणस्थान से प्रारम्भ होता है?
Ans. अयोग संवर केवल चौदहवें गुणस्थान में होता है तथा संपूर्ण संवर की अवस्था वही है।

Q.2 अशुभ योग तो सातवें गुणस्थान में रुक जाता है, फिर अयोग संवर चौदहवें गुणस्थान में ही क्यों?
Ans. आंशिक ख संवर का यहां उल्लेख नहीं है, इसीलिए तो पाचवें गुणस्थान में व्रत संवर ग्रहण नहीं किया गया। नौवें व दसवें गुणस्थान में कषाय की अत्यल्पता के बावजूद अकषाय संवर नहीं माना। इसी तरह सातवें से तेरहवें गुणस्थान तक आंशिक अयोग संवर होते हुए भी संवर नहीं माना है। एक चौदहवें गुणस्थान में ही पूर्ण अयोग संवर सधता है।

Q.3 मिथ्यात्व अवस्था में निर्जरा होती है। मिथ्यात्वी को सत्क्रिया की दृष्टि से मोक्ष का देश आराधक माना गया है, फिर वहां संवर क्यों नहीं होता?
Ans. संवर होने में चारित्र मोहनीय की आठ प्रकृतियों का क्षयोपशम अनिवार्य हैं। अनन्तानुबन्धी कषाय चतुष्क तथा अप्रत्याख्यानी कषाय चतुष्क का क्षयोपशम होने पर ही संवर की निष्पत्ति होती है। मिथ्यात्व अवस्था में इन आठ प्रकृतियों का उदय रहता है, अत: मिथ्यात्व दशा में संवर नहीं होता।

Q.4 संवर की स्थिति कितनी? 
Ans. संवर की स्थिति जघन्य अंतर्मुहुर्त्त उत्कृष्ट कुछ कम एक करोड़ पूर्व की है।

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 05/01/2018

प्रश्न पत्र- 73

संवर तत्त्व

Q.1 अयोग संवर कौन से गुणस्थान से प्रारम्भ होता है?
Ans. 

Q.2 अशुभ योग तो सातवें गुणस्थान में रुक जाता है, फिर अयोग संवर चौदहवें गुणस्थान में ही क्यों?
Ans. 

Q.3 मिथ्यात्व अवस्था में निर्जरा होती है। मिथ्यात्वी को सत्क्रिया की दृष्टि से मोक्ष का देश आराधक माना गया है, फिर वहां संवर क्यों नहीं होता?
Ans. 

Q.4 संवर की स्थिति कितनी? 
Ans.

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वार- शुक्रवार, 29/12/2017

प्रश्न पत्र- 72

संवर तत्त्व

Q,1 सिद्धों में संवर क्यों नहीं माना गया ?
Ans. सिद्ध अकर्मा है, कृतकार्य है। उन्हें किसी प्रकार के त्याग की अपेक्षा नहीं रहती, इसलिए उज्ज्वलता होते हुए भी संवर नहीं माना।

Q,2 व्रत संवर कौन से गुणस्थान से प्रारम्भ होता है?
Ans. व्रत संवर छठे गुणस्थान से प्रारम्भ होता है। अव्रत का पूर्ण अवरोध होने पर ही छठे गुणस्थान की प्राप्ति होती है। यह चौदहवें गुणस्थान तक रहता हैं।

Q.3 पांचवे गुणस्थान में संवर तो होता है, फिर व्रत संवर क्यों नहीं?
Ans. पांचवें गुणस्थान में सम्यक्त्व संवर है। देश व्रत पांचवे गुणस्थान में होता है। वहां व्रत संवर आंशिक रूप से जरुर है, किन्तु सम्पूर्ण नहीं होने से व्रत संवर नहीं माना गया है।

Q.4 अप्रमाद संवर कौन से गुणस्थान से प्रारम्भ होता है?
Ans. अप्रमाद संवर सातवें गुणस्थान से प्रारम्भ हो जाता है, जो चौदहवें तक रहता है।

Q.5 अकषाय संवर कौन से गुणस्थान से प्रारम्भ होता है?
Ans. ग्यारहवें गुणस्थान से अकषाय संवर प्रारम्भ होता है। वीतराग अवस्था अकषाय संवर में ही मानी गई है।

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 29/12/2017

प्रश्न पत्र- 72

संवर तत्त्व

Q,1 सिद्धों में संवर क्यों नहीं माना गया ?
Ans. 

Q,2 व्रत संवर कौन से गुणस्थान से प्रारम्भ होता है?
Ans. 

Q.3 पांचवे गुणस्थान में संवर तो होता है, फिर व्रत संवर क्यों नहीं?
Ans. 

Q.4 अप्रमाद संवर कौन से गुणस्थान से प्रारम्भ होता है?
Ans. 

Q.5 अकषाय संवर कौन से गुणस्थान से प्रारम्भ होता है?
Ans.

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वार- शुक्रवार, 22/12/2017

प्रश्न पत्र- 70

संवर तत्त्व 

Q.1 संवर की क्या परिभाषा है?
Ans. कर्मों को रोकने वाले आत्म परिणाम (आश्रव निरोध) को संवर कहते हैं। आत्मा के वे परिणाम जिनसे कर्म वर्गणा का अवरोध होता हो, उसे संवर कहा जाता है।

Q.2 संवर के कितने प्रकार हैं?
Ans. संवर के पांच प्रकार हैं– १.सम्यकत्व संवर, २.व्रत संवर, ३.अप्रमाद संवर, ४.अकषाय संवर, ५.अयोग संवर।

Q.3 क्या संवर के और भी प्रकार हैं?
Ans. संवर के पन्द्रह प्रकार और भी हैं–
१.प्रणातिपात विरमण संवर
२. मृषावाद विरमण संवर 
३. अदत्तादान विरमण संवर 
४. अब्रह्यचर्य विरमण संवर 
५. परिग्रह विरमण संवर 
६. श्रोत्रेंद्रिय निग्रह संवर
७. चक्षुरिन्द्रिय निग्रह संवर
८. घ्रानेन्द्रिय निग्रह संवर 
९. रसनेन्द्रिय निग्रह संवर
१०. स्पर्शनेन्द्रिय निग्रह संवर 
११. मनो निग्रह संवर 
१२. वचन निग्रह संवर 
१३. काय निग्रह संवर  
१४. भंडोपकरण रखने में अयत्ना न करना संवर
१५. सूचि कुशाग्र मात्र दोष सेवन न करना संवर।
इसके अधिकतम भेद ५७ बताए गये हैं।

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 22/12/2017

प्रश्न पत्र- 70

संवर तत्त्व


Q.1 संवर की क्या परिभाषा है?
Ans. 

Q.2 संवर के कितने प्रकार हैं?
Ans. 

Q.3 क्या संवर के और भी प्रकार हैं?

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वार- शुक्रवार, 08/12/2017

प्रश्न पत्र- 69

आश्रव तत्त्व

Q.1 क्या आश्रव का आदि-अन्त है?
Ans.  काल की दृष्टि से आश्रव के तीन विकल्प हो सकते हैं –
 १.अनादि अनन्त – अभव्य की अपेक्षा से।
२. अनादि सान्त – मोक्षगामी  भव्य की अपेक्षा से।
३. सादि सान्त – प्रतिपाती सम्यग्दृष्टि की अपेक्षा से।

Q.2 आश्रव सावद्य है या निरवद्य?
Ans. आश्रव सावद्य एवं निरवद्य दोनों है। मिथ्यात्व, अव्रत, प्रमाद, कषाय आश्रव सावद्य हैं। योग के दो प्रकार है – शुभ योग और अशुभ योग। उनमें अशुभ योग सावद्य है। शुभ योग से निर्जरा होती है, इस दृष्टि से निरवद्य है।

Q.3  कर्म और कर्मो का कर्ता एक है या दो?
Ans. दो। कर्म अजीव है जबकि कर्मो का कर्ता जीव है और वह आश्रव है।

Q.4 आश्रव हेय है या उपादेय?
Ans. आश्रव हेय है क्योंकि यह आने का द्वार है, निमित्त है। इसके माध्यम से ही कर्म आता है, अत: आश्रव को आचार्यों ने भव-हेतुक कहा है। संसार में रहने का एकमात्र हेतु यही है।

Q.5 आश्रव तत्त्व मोक्षगमन में सहायक है या बाधक?
Ans. आश्रव बंधनकारक तत्त्व है इसलिए यह मोक्ष की आराधना में सहायक नहीं, बाधक तत्त्व है।

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वार- शुक्रवार, 08/12/2017

प्रश्न पत्र- 69

आश्रव तत्त्व

Q.1 क्या आश्रव का आदि-अन्त है?
Ans.  

Q.2 आश्रव सावद्य है या निरवद्य?
Ans. 

Q.3  कर्म और कर्मो का कर्ता एक है या दो?
Ans.

Q.4 आश्रव हेय है या उपादेय?
Ans. 

Q.5 आश्रव तत्त्व मोक्षगमन में सहायक है या बाधक?
Ans.

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प्रश्न पत्र- 68

आश्रव तत्त्व


Q.1 मनोवार्गणा, वचनवर्गणा, कायवर्गणा को पौद्गलिक माना गया है और मन, वचन, काया को योग आश्रव कहा गया है इसलिए क्या आश्रव अजीव नहीं है?
Ans. मन, वचन, काया की वर्गणा पौद्गलिक है, किन्तु यही योग नहीं है। मन, वचन, काया का योग आत्म प्रवृत्ति जुड़ने से होता है। वर्गणा द्रव्य मन, द्रव्य वचन, द्रव्य काया का योग हो सकती है, किन्तु भाव योग आत्मा के संयोग से ही होता है, वही योग आश्रव है।

Q.2 क्या आगम प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि आश्रव जीव है?
Ans. आगमों में जो प्रसंग आते हैं, उनके आधार पर यह निश्चयपूर्वक कहा जा सकता है कि आश्रव जीव है। भगवती सूत्र में भाव लेश्या को अरुपी व जीव कहा गया है, इस आधार पर कहा जा सकता है कि भाव लेश्या आश्रव है और वह जीव है।

अनुयोगद्वार में जीवोदय निष्पन्न तेतीस बोल बताये गये हैं। इनमें छह लेश्याएँ, चार कषाय, मिथ्या दृष्टि, अविरति और सयोगिता भी अन्तर्निहित है, अत: ये सब जीव है। चार कषाय अर्थात् कषाय आश्रव, मिथ्या दृष्टि अर्थात् मिथ्यात्व आश्रव, अविरति अर्थात् अव्रत आश्रव, सयोगिता अर्थात् योग आश्रव है। इस तरह आश्रव जीव सिद्ध होता है।

भगवती सूत्र में आठ आत्माएं बताई गई हैं, उनमें कषाय आत्मा व योग आत्मा का उल्लेख है। कषाय आत्मा-कषाय आश्रव है। योग आत्मा-योग आश्रव है। जो कषाय व योग आश्रव को अजीव मानते हैं उनके मत से कषाय आत्मा और योग आत्मा अजीव नहीं, अत: कषाय आश्रव और योग आश्रव भी जीव है।

लेश्या, मिथ्यात्व, अविरति, कषाय, योग – इनके संबंध में जो विवेचन है उससे स्पष्ट है कि योग आदि पांचों कर्म आगमन के हेतु होने से आश्रव हैं। उन्हें आगमों में आत्मा, जीव-परिणाम आदि संज्ञाओं में अभिहित किया है। इस आधार पर यह नि:संकोच कहा जा सकता है कि आश्रव जीव-परिणाम है, जीव-स्वरूप है, अत: जीव है।

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तत्व ज्ञान

???????? "मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"????????

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 01/12/2017

प्रश्न पत्र- 68

आश्रव तत्त्व

Q.1 मनोवार्गणा, वचनवर्गणा, कायवर्गणा को पौद्गलिक माना गया है और मन, वचन, काया को योग आश्रव कहा गया है इसलिए क्या आश्रव अजीव नहीं है?
Ans. 

Q.2 क्या आगम प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि आश्रव जीव है?
Ans.

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 24/11/2017

प्रश्न पत्र- 67

आश्रव तत्त्व

Q.1  योग चंचल है। उपशम शमन को कहते हैं, फिर योग में उपशम भाव कैसे?
Ans.  योग की शुभता में मोह कर्म का अनुदय आवश्यक है। वह अनुदय उपशम, क्षायक, क्षयोपशम– तीनों में से किसी भी रूप में हो सकता है, योग की चंचलता से इसका सम्बन्ध नहीं है। इसका संबंध है मात्र शुभता से।

Q.2  योग की उत्पत्ति का तात्त्विक आधार क्या है?
Ans.  अंतराय कर्म का क्षय, क्षयोपशम और नामकर्म के उदय से योग उत्पन्न होता है।

Q.3  आश्रव आत्म परिणाम को कहते हैं या आकर्षित होने वाली कर्म वर्गणा को?
Ans.  आत्म परिणाम को ही आश्रव कहा जाता है, कर्म वर्गणा को नहीं। आश्रव जीव है जबकि कर्म वर्गणा अजीव है। इन दोनों का अंतर समझने के लिए आचार्य भिक्षु द्वारा प्रदत्त दृष्टान्त मननीय है। तालाब के नाले, हवेली के द्वार तथा नौका के छेद सदृश आश्रव हैं। नाले में से आने वाले पानी, द्वार में से आने वाले आदमी तथा नौका के छेद में से घुसने वाले पानी के सदृश कर्म वर्गणा है।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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वार- शुक्रवार, 24/11/2017

प्रश्न पत्र- 67

आश्रव तत्त्व

Q.1  योग चंचल है। उपशम शमन को कहते हैं, फिर योग में उपशम भाव कैसे?
Ans.  

Q.2  योग की उत्पत्ति का तात्त्विक आधार क्या है?
Ans.  

Q.3  आश्रव आत्म परिणाम को कहते हैं या आकर्षित होने वाली कर्म वर्गणा को?
Ans.  

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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वार- शुक्रवार, 17/11/2017

प्रश्न पत्र- 66

आश्रव तत्त्व

Q.1 योग आश्रव कितने गुणस्थान तक है?
Ans. योग आश्रव तेरहवें गुणस्थान तक रहता है।

Q.2 योग आश्रव की जनक प्रकृतियां कौन-कौन सी हैं?
Ans. योग आश्रव की जनक प्रकृति एक शरीर नामकर्म की है। अशुभ योग में चारित्र मोहनीय कर्म की प्रकृतियां सहायक बनती हैं।

Q.3 आश्रव में भाव कौन सा है?
Ans. उदय और परिणामिक – ये दो भाव आश्रव में होते हैं। कर्मबंध की दृष्टि से यहां उदय भाव ही लिया गया है।

Q.4 शुभ योग केवल उदय भाव ही है या क्षायक, क्षयोपशम भाव भी हैं?
Ans. शुभ योग भाव पांच हैं – मोहकर्म का उपशम, क्षायक, क्षयोपशम; नामकर्म का उदय; अंतराय कर्म का क्षय, क्षयोपशम तथा परिणामिक भाव। ये पांचो भाव शुभ योग में हैं। निर्जरा की अपेक्षा से इनकी संगति बैठती है।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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वार- शुक्रवार, 17/11/2017

प्रश्न पत्र- 66

आश्रव तत्त्व

Q.1 योग आश्रव कितने गुणस्थान तक है?
Ans.

Q.2 योग आश्रव की जनक प्रकृतियां कौन-कौन सी हैं?
Ans.

Q.3 आश्रव में भाव कौन सा है?
Ans. 

Q.4 शुभ योग केवल उदय भाव ही है या क्षायक, क्षयोपशम भाव भी हैं?
Ans. 

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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वार- शुक्रवार, 10/11/2017

प्रश्न पत्र- 65

आश्रव तत्त्व

Q.1 प्रमाद आश्रव कितने गुणस्थान तक हैं?
Ans. प्रमाद आश्रव छठे गुणस्थान तक रहता है।

Q.2 प्रमाद आश्रव की जनक प्रवृतियां कौन-कौन सी हैं?
Ans. छठे और सातवें गुणस्थान में कर्म प्रकृतियां एक जितनी हैं, अत: जनक प्रकृतियों का स्पष्ट उल्लेख कहीं नहीं मिलता। वैसे संज्वलन कषाय चतुष्क व नौ नो कषाय की प्रकृतियां ही इसकी जनक हैं। छठे गुणस्थान में जिस मात्रा में उदय रहता है, उसमें न्यूनता आने पर ही अप्रमत्तता आती है।

Q.3 कषाय आश्रव कितने गुणस्थान तक है?
Ans. कषाय आश्रव दसवें गुणस्थान तक है।

Q.4 कषाय आश्रव की जनक प्रकृतियां कौन-कौन सी हैं?
Ans. कषाय आश्रव की जनक प्रकृतियां सोलह हैं –
1. अनन्तानुबंधी - क्रोध, मान, माया, लोभ
2. अप्रत्याख्यानी- क्रोध, मान, माया, लोभ
3. प्रत्याख्यानी- क्रोध, मान, माया, लोभ
4. संज्वलन- क्रोध, मान, माया, लोभ।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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वार- शुक्रवार, 10/11/2017

प्रश्न पत्र- 65

आश्रव तत्त्व

Q.1 प्रमाद आश्रव कितने गुणस्थान तक हैं?
Ans.

Q.2 प्रमाद आश्रव की जनक प्रवृतियां कौन-कौन सी हैं?
Ans.

Q.3 कषाय आश्रव कितने गुणस्थान तक है?
Ans.

Q.4 कषाय आश्रव की जनक प्रकृतियां कौन-कौन सी हैं?
Ans.

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वार- शुक्रवार, 03/11/2017

प्रश्न पत्र- 64

आश्रव तत्त्व

Q.1. मिथ्यात्व आश्रव कितने गुणस्थान तक हैं?
Ans: पहले और तीसरे गुणस्थान में मिथ्यात्व आश्रव है। दूसरे व चौथे गुणस्थान में मिथ्यात्व आश्रव सक्रिय नहीं है। शेष दस गुणस्थानों में मिथ्यात्व नहीं है। 

Q.2. मिथ्यात्व आश्रव की जनक प्रकृतियां कौन-कौन सी हैं ?
Ans: मिथ्यात्व आश्रव की जनक प्रकृतियां सात हैं-
अनन्तानुबंधी क्रोध 
अनन्तानुबंधी मान
अनन्तानुबंधी माया 
अनन्तानुबंधी लोभ
सम्यक्त्व मोहनीय 
मिथ्यात्व मोहनीय
मिश्र मोहनीय।

Q.3. अव्रत आश्रव कितने गुणस्थान तक हैं?
Ans: पांचवें गुणस्थान तक अव्रत आश्रव निरन्तर विद्यमान है। इसमें जीव के प्रतिसमय कर्मों का आगमन होता रहता है। 

Q.4. अव्रत आश्रव की जनक प्रकृतियां कौन-कौन सी हैं?
Ans: अव्रत आश्रव की जनक प्रकृतियां आठ हैं-
अप्रत्याख्यानी क्रोध
प्रत्याख्यानी क्रोध 
अप्रत्याख्यानी मान 
प्रत्याख्यानी मान
अप्रत्याख्यानी माया 
प्रत्याख्यानी माया 
अप्रत्याख्यानी लोभ
प्रत्याख्यानी लोभ।

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वार- शुक्रवार, 03/11/2017

प्रश्न पत्र- 64

आश्रव तत्त्व

Q.1. मिथ्यात्व आश्रव कितने गुणस्थान तक हैं?
Ans: 

Q.2. मिथ्यात्व आश्रव की जनक प्रकृतियां कौन-कौन सी हैं ?
Ans: 

Q.3. अव्रत आश्रव कितने गुणस्थान तक हैं?
Ans: 

Q.4. अव्रत आश्रव की जनक प्रकृतियां कौन-कौन सी हैं?
Ans: 

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 27/10/2017

प्रश्न पत्र- 63

आश्रव तत्त्व

Q.1.  मिथ्यात्व के दस प्रकार कौनसे हैं?
Ans.  मिथ्यात्व के दस प्रकार-
१.धर्म को अधर्म समझना 
२. अधर्म को धर्म समझना
३. मार्ग को कुमार्ग समझना  
४. कुमार्ग को मार्ग समझना 
५. जीव को अजीव समझना 
६. अजीव को जीव समझना 
७. साधु को असाधु समझना  
८. असाधु को साधु समझना 
९. मुक्त को अमुक्त समझना
१०. अमुक्त को मुक्त समझना।

Q.2. कषाय के चार प्रकार कौनसे है?
Ans. कषाय के चार प्रकार हैं-क्रोध, मान, माया, लोभ।

Q.3. कषाय के सोलह प्रकार कौनसे है?
Ans. कषाय के सोलह प्रकार हैं – 
अनन्तानुबंधी – क्रोध, मान, माया, लोभ 
अप्रत्याख्यानी – क्रोध, मान, माया, लोभ 
प्रत्याख्यानी – क्रोध, मान, माया, लोभ
संज्वलन – क्रोध, मान, माया, लोभ।

Q.4. योग आश्रव के कितने प्रकार हैं?
Ans. योग आश्रव के शुभ-अशुभ – इन दो भेदों के अतिरिक्त पन्द्रह भेद भी बताये गये हैं-
१.प्राणातिपात आश्रव 
२. मृषावाद आश्रव 
३. अदत्तादान आश्रव 
४. मैथुन आश्रव
५. परिग्रह आश्रव
६. श्रोत्रेंद्रिय प्रवृत्ति आश्रव 
७. चक्षुरिन्द्रिय प्रवृत्ति आश्रव 
८. घ्रानेन्द्रिय प्रवृत्ति आश्रव 
९. रसनेन्द्रिय प्रवृत्ति आश्रव 
१०. स्पर्शनेन्द्रिय प्रवृत्ति आश्रव
११. मन प्रवृत्ति आश्रव
१२. वचन प्रवृत्ति आश्रव 
१३. काय प्रवृत्ति आश्रव
१४. भंडोपकरण रखना आश्रव
१५. सूचि-कुशाग्र मात्र दोष सेवन आश्रव।

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वार- शुक्रवार, 27/10/2017

प्रश्न पत्र- 63

आश्रव तत्त्व

Q.1.  मिथ्यात्व के दस प्रकार कौनसे हैं?
Ans.  

Q.2. कषाय के चार प्रकार कौनसे है?
Ans. 

Q.3. कषाय के सोलह प्रकार कौनसे है?
Ans. 

Q.4. योग आश्रव के कितने प्रकार हैं?
Ans. 

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वार- शुक्रवार, 20/10/2017

प्रश्न पत्र- 62

आश्रव तत्त्व

Q.1. मिथ्यात्व के 5 प्रकार कौनसे हैं?
Ans. मिथ्यात्व के पांच प्रकार हैं- (1) आभिग्राहिक, (2) अनाभिग्राहिक, (3) आभिनिवेशिक, (4) अनाभोगिक, (5) सांशायिक। 

Q.2. आभिग्राहिक मिथ्यात्व किसे कहते है?
Ans. आभिग्राहिक – अपनी मान्यता को असत्य समझ लेने पर भी उसे पकड़े रहना। यह दीर्घकालिक होता है।

Q.3. अनाभिग्राहिक मिथ्यात्व किसे कहते है?
Ans. अनाभिग्राहिक – गुण-दोष की परीक्षा किये बिना सभी विचारों या मंतव्यों को समान समझना।

Q.4. आभिनिवेशिक मिथ्यात्व किसे कहते है?
Ans. आभिनिवेशिक – अपनी मान्यता को असत्य समझ लेने पर भी उसे पकड़े रहना। यह अल्पकालिक होता हैं।  

Q.5. अनाभोगिक मिथ्यात्व किसे कहते है?
Ans. अनाभोगिक – ज्ञान के अभाव में या मोह की प्रबलतम अवस्था के कारण गलत तत्त्व को पकड़े रहना।

Q.6. सांशायिक मिथ्यात्व किसे कहते है?
Ans. सांशायिक – वैचारिक अस्थिरता व संदेह की स्थिति में गलत तत्त्व को सही मानना।

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वार- शुक्रवार, 20/10/2017

प्रश्न पत्र- 62

आश्रव तत्त्व

Q.1. मिथ्यात्व के 5 प्रकार कौनसे हैं?
Ans. 

Q.2. आभिग्राहिक मिथ्यात्व किसे कहते है?
Ans. 

Q.3. अनाभिग्राहिक मिथ्यात्व किसे कहते है?
Ans. 

Q.4. आभिनिवेशिक मिथ्यात्व किसे कहते है?
Ans. 

Q.5. अनाभोगिक मिथ्यात्व किसे कहते है?
Ans. 

Q.6. सांशायिक मिथ्यात्व किसे कहते है?
Ans. 

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वार- शुक्रवार, 01/09/2017

प्रश्न पत्र- 55

पुण्य तत्त्व

Q.1- पुण्य हेय है या उपादेय है?
Ans. 

Q.2- मोक्ष प्राप्ति में पुण्य साधक तत्त्व है या बाधक?
Ans. 

Q.3.  मनुष्य शरीर के बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। मनुष्य-शरीर पुण्य से प्राप्त होता है, अतः पुण्य को मोक्ष का सहायक तत्त्व क्यों नहीं माना जा सकता?
Ans. 

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 11/07/2017

प्रश्न पत्र- 54

पुण्य तत्त्व

Q.1-  क्या धर्म और पुण्य एक है?
Ans.

Q.2- पुण्य और पाप की कर्म वर्गणा अलग-अलग है या एक ही है?
Ans.

Q.3. पुण्य बंध की इच्छा करनी चाहिये या नहीं?
Ans. 

Q.4-  पुण्य के लिए क्रिया करनी चाहिए या नहीं?
Ans. 

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वार- शुक्रवार, 04/07/2017

प्रश्न पत्र- 53

पुण्य तत्त्व

Q.1- शुभ प्रवृति मात्र में निर्जरा मानी गयी है और पुण्य बंध भी बतलाया है। क्या पुण्य और निर्जरा की क्रिया एक ही है?
Ans. 

Q.2- पुण्य का स्वतंत्र बंध क्यों नहीं होता?
Ans. 

Q.3. अशुभ प्रवृति से जब पृथक पाप का बंध हो सकता है तब शुभ प्रवृति से पृथक् पुण्य का बंध क्यों नहीं हो सकता है?
Ans.

Q.4-   किसी व्यक्ति ने किसी व्यक्ति को भौतिक सहयोग दिया, उसे अगले जन्म में उसके द्वारा अनुकूल सहयोग मिल सकता है, ऐसे प्रसंग भी मिलते हैं, ऐसा पुण्य से ही संभव लगता है फिर ऐसी क्रिया में पुण्य क्यों नहीं?
Ans. 

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 28/07/2017

प्रश्न पत्र- 53

पुण्य तत्त्व

Q.1- शुभ प्रवृति मात्र में निर्जरा मानी गयी है और पुण्य बंध भी बतलाया है। क्या पुण्य और निर्जरा की क्रिया एक ही है?
Ans. 

Q.2- पुण्य का स्वतंत्र बंध क्यों नहीं होता?
Ans. 

Q.3. अशुभ प्रवृति से जब पृथक पाप का बंध हो सकता है तब शुभ प्रवृति से पृथक् पुण्य का बंध क्यों नहीं हो सकता है?
Ans.

Q.4-   किसी व्यक्ति ने किसी व्यक्ति को भौतिक सहयोग दिया, उसे अगले जन्म में उसके द्वारा अनुकूल सहयोग मिल सकता है, ऐसे प्रसंग भी मिलते हैं, ऐसा पुण्य से ही संभव लगता है फिर ऐसी क्रिया में पुण्य क्यों नहीं?
Ans. 

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 21/07/2017

प्रश्न पत्र- 52

पुण्य तत्त्व

Q.1-  संयमी को अन्न आदि देने से पुण्य का बंध क्यों?
Ans. 

Q.2- असंयमी को देने में पुण्य क्यों नहीं?
Ans.

Q.3- संयमा-संयमी (श्रावक) को देने में पुण्य क्यों नहीं?
Ans. 

Q.4-  पुण्य बंध की कौन-कौन सी क्रिया है?
Ans. 

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वार- शुक्रवार, 07/07/2017

प्रश्न पत्र- 51

पुण्य तत्त्व

Q.1-  शयन पुण्य किसे कहते है?
Ans. 

Q.2- वस्त्र पुण्य किसे कहते है?
Ans. 

Q.3- मन पुण्य किसे कहते हैं?
Ans.

Q.4-  वचन पुण्य किसे कहते हैं?
Ans.

Q.5- काय पुण्य किसे कहते हैं?
Ans.

Q.6- नमस्कार पुण्य किसे कहते है?
Ans. 

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तत्व ज्ञान

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 30/06/2017

प्रश्न पत्र- 50

पुण्य तत्त्व

Q.1-  पुण्य तत्त्व की परिभाषा क्या है?
Ans. 

Q.2- पुण्य बंध के कितने प्रकार हैं व कौनसे?
Ans. 

Q.3-  अन्न पुण्य किसे कहते हैं?
Ans. 

Q.4-  पान पुण्य किसे कहते हैं?
Ans. 

Q.5- लयन पुण्य किसे कहते हैं?
Ans. 

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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तत्व ज्ञान

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 23/06/2017

प्रश्न पत्र- 49

अजीव तत्त्व-पुद्गल

Q.1-  अजीव के 14 भेद किस दृष्टि से है?
Ans.

Q.2- स्कंध किसे कहते हैं?
Ans.

Q.3-  देश किसे कहते हैं?
Ans.

Q.4-  प्रदेश किसे कहते हैं?
Ans. 

Q.5- परमाणु किसे कहते हैं?
Ans. 

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 16/06/2017

प्रश्न पत्र- 48

जीव-अजीव तत्त्व-

Q.1- लोक में जीव ज्यादा है या अजीव?
Ans. 

Q.2- क्या जीव और अजीव का भी कोई संबंध है?
Ans.

Q.3- अजीव का जीव के लिए उपयोग है या जीव का अजीव के लिए उपयोग है?
Ans. 

Q.4- अजीव का अजीव के लिए जीव का जीव के लिए क्या उपयोग है?
Ans. 

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 09/06/2017

प्रश्न पत्र- 47

2-अजीव तत्त्व-

Q.1- लोक किसे कहते हैं?
Ans. 

Q.2- आलोक किसे कहते हैं
Ans. 

Q.3- अजीव के 14 प्रकार कौन से हैं?
Ans.

Q.4- अजीव के सर्वाधिक प्रकार कितने हैं?
Ans. 

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 02/06/2017

प्रश्न पत्र- 46

2-अजीव तत्त्व-

Q.1- धर्मास्तिकाय और पुण्य एक है या दो?
Ans. दो। धर्मास्तिकाय अरूपी है, पुण्य रूपी है।

Q.2- धर्मास्तिकाय और धर्म एक है या दो?
Ans. दो। धर्मास्तिकाय अजीव है, धर्म जीव है।

Q.3- अजीव में रूपी कितने? अरूपी कितने?
Ans. धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, काल ये चार अरूपी है। एक पुद्गल रूपी है।

Q.4- अजीव में सावद्य कितने निरवद्य कितने?
Ans. अजीव में दोनों नहीं है।

Q.5- अजीव में आज्ञा में कितने? आज्ञा के बाहर कितने?
Ans. अजीव है। इसीलिए दोनों नहीं है।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 02/06/2017

प्रश्न पत्र- 46

2-अजीव तत्त्व-

Q.1- धर्मास्तिकाय और पुण्य एक है या दो?
Ans. 

Q.2- धर्मास्तिकाय और धर्म एक है या दो?
Ans.

Q.3- अजीव में रूपी कितने? अरूपी कितने?
Ans.

Q.4- अजीव में सावद्य कितने निरवद्य कितने?
Ans. 

Q.5- अजीव में आज्ञा में कितने? आज्ञा के बाहर कितने?
Ans. 

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 26/05/2017

प्रश्न पत्र- 45

अजीव तत्त्व-

Q.1- धर्मास्तिकाय की क्या परिभाषा है?
Ans. जीव और पुद्गल की गति में जो अपेक्षित सहायक होता है, उसे धर्मास्तिकाय कहते हैं।

Q.2- अधर्मास्तिकाय की क्या परिभाषा है?
Ans. जीव और पुद्गल के स्थिर होने में जो अपेक्षित सहायक होता है, उसे अधर्मास्तिकाय कहते हैं।

Q.3- आकाशास्तिकाय की क्या परिभाषा है?
Ans.  सभी द्रव्यों को अवकाश- भाजन देने वाले को आकाशस्तिकाय कहते हैं। लोक और आलोक, दोनों में व्याप्त है।

Q.4- काल की क्या परिभाषा है
Ans. वर्तना को काल कहते हैं। समय, आवलिका, सेकंड, मिनट, मुहूर्त्त, दिन, रात्रि, पक्ष, मास, ऋतु, वर्ष आदि इसी आधार पर बनते हैं। यह वैसे औपचारिक एवं काल्पनिक द्रव्य है।

Q.5- पुद्गलास्तिकाय की क्या परिभाषा है।
Ans. जो वर्ण, गंध, रस, स्पर्श युक्त हो, जिसमें मिलने और बिखरने का स्वभाव हो उसे पुद्गलास्तिकाय कहते हैं।

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विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 26/05/2017

प्रश्न पत्र- 45

अजीव तत्त्व-

Q.1- धर्मास्तिकाय की क्या परिभाषा है?
Ans.

Q.2- अधर्मास्तिकाय की क्या परिभाषा है?
Ans.

Q.3- आकाशास्तिकाय की क्या परिभाषा है?
Ans. 

Q.4- काल की क्या परिभाषा है
Ans.

Q.5- पुद्गलास्तिकाय की क्या परिभाषा है।
Ans. 

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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तत्व ज्ञान

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 19/05/2017

प्रश्न पत्र- 44

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप" (MMBG) द्वारा आयोजित साप्ताहिक कार्य शाला के अन्तर्गत शुक्रवार की "तत्त्वज्ञान कार्यशाला"जिसमें अभी तक 1 साल से "नौ तत्त्व" में से पहला तत्त्व - 'जीव तत्त्व' चल रहा था। जिसमें हमने जीव तत्त्व को विस्तार से समझाने की कोशिश की है। आज से "अजीव तत्त्व" के बारे में शुरू किया जा रहा है।

अजीव तत्त्व-

Q.1- लोक में मूलतः कितने तत्त्व है? नाम बताये।
Ans. 

Q.2- अजीव की क्या परिभाषा है?
Ans. 

Q.3- अजीव रूपी है या अरूपी?
Ans.  

Q.4- अरूपी अजीव कितने प्रकार है?
Ans. 

Q.5- रूपी अजीव के कितने प्रकार है?
Ans. 


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"महासभा-मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 12/05/2017

प्रश्न पत्र- 43

जीव तत्त्व-

Q.1- 84 लाख जीव योनि क्या है और यह संख्या कैसे बनी है?
Ans. 

Q.2- मरने के बाद जीव इन योनियों में किस रास्ते से जाता है?
Ans. 

Q.3- अंतराल गति किसे कहते हैं व कितने प्रकार की होती है?
Ans.

Q.4-  आहार कितने प्रकार के होते हैं?
Ans.

Q.5- जीव सबसे पहले आहार किसका करता है?
Ans. 


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"महासभा-मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 05/05/2017

प्रश्न पत्र- 42

जीव तत्त्व

Q.1- मनुष्य के सबसे अधिक कितने भेद?
Ans.

Q.2- कर्मभूमि कितनी व कौन कौनसी है
Ans. 

Q.3- अकर्म भूमि कितनी व कौन- कौनसी है?
Ans.

Q.4-  अंतर्द्वीप कितने व कौनसे है?
Ans. 

Q.5- देवताओं के सबसे अधिक कितने भेद?
Ans. 


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"महासभा-मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 28/03/2017

प्रश्न पत्र- 41

जीव तत्त्व-

Q.1-जीव के सबसे अधिक भेद कितने आये है?
Ans.

Q.2- नारक के सबसे अधिक कितने भेद?
Ans.

Q.3- तिर्यंच के सबसे अधिक कितने भेद?
Ans.


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"महासभा-मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 21/03/2017

प्रश्न पत्र- 40

जीव तत्त्व- संसारी जीव के 24 प्रकार

Q.1- भवनपति देवों के आवास कहां है?
Ans.

Q.2- व्यंतर देव कहां रहते है?
Ans.

Q.3- व्यंतर देव कितने प्रकार के होते है?
Ans.

Q.4-  ज्योतिष्क देव कहां रहते है?
Ans. 

Q.5- ज्योतिष्क देव कितने प्रकार के व कौन-कौनसे होते है?
Ans. 

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"महासभा-मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- तत्त्वज्ञान

वार- शुक्रवार, 14/03/2017

प्रश्न पत्र- 39

जीव तत्त्व- संसारी जीव के 24 प्रकार

Q.1- देवता में कितने दंडक होते है?
Ans. 

Q.2- श्रावक में कितने दंडक होते है?
Ans. 

Q.3- कौनसे दंडक से मनुष्य की मुक्ति होती है?
Ans. 

Q.4-  विकलेंद्रिय के दंडक कितने व कौनसे?
Ans. 

Q.5- त्रस काय के दंडक कितने?
Ans. 

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वार- शुक्रवार, 07/03/2017

प्रश्न पत्र- 38

जीव तत्त्व- संसारी जीव के 24 प्रकार

Q.1- 1 से 7 दंडक किसके हैं?
Ans. 

Q.2- भवनपति देवों के दंडक कितने होते है?
Ans. 

Q.3- स्थावर के दंडक कितने होते है?
Ans. 

Q.4- तिर्यंच में दंडक कितने होते है?
Ans. 

Q.5- मनुष्य का दंडक कौनसा?
Ans. 

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वार- शुक्रवार, 31/03/2017

प्रश्न पत्र- 37

जीव तत्त्व- संसारी जीव के 24 प्रकार

Q.1- दंडक किसे कहते हैं
Ans. 

Q.2- दंडक किसका विस्तृत रूप है?
Ans. 

Q.3- दंडक कौन से कर्म का उदय है?
Ans. 

Q.4- दंडक जीव है या अजीव?
Ans. 

Q.5- दंडको में सबसे ज्यादा जीव कौन-से दंडक में है तथा सबसे कम जीव कौनसे दंडक में है?
Ans. 

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वार- शुक्रवार, 24/03/2017
 
प्रश्न पत्र- 36
 
जीव तत्त्व- संसारी जीव के चौदह प्रकार
 
Q.1- अपर्याप्त किसे कहते है?
Ans.
 
Q.2- पर्याप्त किसे कहते है?
Ans. 
 
Q.3- कौनसे इन्द्रिय के जीव केवल असंज्ञी ही होते है?
Ans. 
 
Q.4- कौनसी इंद्रिय के जीव संज्ञी व असंज्ञी दोनों होते है?
Ans. 
 
Q.5- संज्ञी जीव ज्यादा या असंज्ञी?
Ans.
 
 
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वार- शुक्रवार, 17/03/2017

प्रश्न पत्र- 35

जीव तत्त्व- संसारी जीव के चौदह प्रकार

Q.1- संसारी जीव के चौदह भेद कौनसे हैं?
Ans. संसारी जीव के चौदह प्रकार- 
(1) सूक्ष्म एकेन्द्रिय के दो भेद- अपर्याप्त और पर्याप्त,
(2) बादर एकन्द्रिय के दो भेद
अपयर्याप्त और अपर्याप्त
(3) द्वीन्द्रिय के दो भेद- अपर्याप्त और पर्याप्त,
(4) त्रीन्द्रिय के दो भेद- अपर्याप्त और पर्याप्त,
(5) चतुरीन्द्रिय के दो भेद- अपर्याप्त और पर्याप्त,
(6) असंज्ञी पंचेन्द्रिय के दो भेद- अपर्याप्त और पर्याप्त,
(7) संज्ञी पंचेन्द्रिय के दो भेद- अपर्याप्त और पर्याप्त।

Q.2- इन चौदह भेदों का वर्गीकरण किसके आधार पर किया गया है?
Ans. इनका वर्गीकरण इंद्रियां, मन और पर्याप्तियां के आधार पर।

Q.3- सूक्ष्म जीव कौनसे इंद्रिय वाले जीवों में होते है?
Ans. एकेंद्रिय वाले जीवों में।

Q.4- बादर जीव कौन कौन से इंद्रिय वाले जीवों में होते है?
Ans. एकेंद्रिय जीव सूक्ष्म और बादर दोनों प्रकार के होते है। लेकिन द्विंद्रिय  से लेकर पंचेंद्रिय तक के सभी जीव बादर ही होते है।

Q.5- कौनसे जीव सम्पूर्ण लोक में व्याप्त है?
Ans. सूक्ष्म एकेंद्रिय के जीव।

Q.6- सूक्ष्म जीव ज्यादा या बादर जीव?
Ans. सूक्ष्म जीव ज्यादा। बादर जीव सूक्ष्म जीव की तुलना में बहुत कम है।


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विषय- तत्त्वज्ञान
वार- शुक्रवार, 10/03/2017
प्रश्न पत्र- 07

जीव तत्त्व (संसारी जीव)-

Q.1- संसारी जीव के छः भेद कौनसे हैं?
Ans. 

Q.2- संसारी जीव के चौदह भेद कौनसे हैं?
Ans.

Q.3- संसारी जीव के चौबीस भेद कौनसे है?
Ans.

Q.4- जीव के सबसे अधिक भेद कितने आये हैं?
Ans. 

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वार- शुक्रवार, 03/03/2017

प्रश्न पत्र- 34

जीव तत्त्व-

संसारी जीव के छः प्रकार-  (1) पृथ्वीकायिक, (2) अप्कायिक, (3) तेजस्कायिक, (4) वायुकायिक, (5) वनस्पतिकायिक, (6) त्रसकायिक।

Q.1- त्रसकायिक जीव किसे कहते हैं?
Ans. त्रस नाम कर्म के उदय का वेदन करने वाले अथवा सुख-प्राप्ति और दु:ख निवृत्ति के उद्देश्य से गति करने वाले जीव त्रसकायिक कहलाते हैं।

Q.2- त्रसकाय में कौन सी इंद्रिय के जीवों का समावेश होता है?
Ans. द्विंद्रिय से लेकर पंचेंद्रिय तक सभी जीवों का समावेश इस वर्ग में होता है।

Q.3- पानी की एक बूंद में कितने जीव होते हैं?
Ans. असंख्यात।

Q.4- स्वकाय शस्त्र और परकाय शस्त्र का क्या अर्थ है?
Ans. मिट्टी से जो मिट्टी के जीवों का, पानी से पानी के जीवों का आदि हनन होता है वह स्वकाय शस्त्र है तथा अप्, अग्नि आदि से जो मिट्टी के जीवों का नाश होता है वह परकाय शस्त्र है।

Q.5- वायु काय का शस्त्र कौन सा है?
Ans. वायु काय का शस्त्र वायु ही है।

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