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Karyasala

जीवन विज्ञान

जीवन विज्ञान

जीवन विज्ञान

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

???????? "मेरे महावीर भगवान ग्रुप"????????

विषय- जीवन विज्ञान
वार- शनिवार, 27/01/2018
प्रश्न पत्र- 02

ध्वनि

प्रश्न १: महाप्राण ध्वनि की विधि क्या है ?
उत्तर  : श्वास भर कर नाक से भ्रमर की तरह गुंजन करना |

प्रश्न २: महाप्राण ध्वनि का आवाज पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर  : आवाज मधुर होती है |

प्रश्न ३: ध्वनि के चार प्रकार बताइए ?
उत्तर  : परा, पश्यन्ती मध्यमा, बैखरी |

प्रश्न ४: भाषा विवेक किसे कहते है ?
उत्तर  : भाषा का सही प्रयोग करना एवं सोच कर बोलना |

प्रश्न ५: भाषा समिति किसे कहते हैं ?
उत्तर  : विवेक पूर्वक बोली जाने वाली भाषा ही भाषा समिति कहलाती है |

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

???????? MMBG परिवार ????????
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नोट :-आप से निवेदन है कि इस Post को ज्यादा से ज्यादा share कर धर्म संघ की प्रभावना में अपना योगदान दें। अगर आप MMBG परिवार से जुडना या अपने सुझाव देना चाहते है तो Whatsapp (9016861873) पर सम्पर्क करें। और MMBG Facebook Page से जुड़ने के लिये इस link को like करें 
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प्रेक्षाध्यान/जीव?

???????? "मेरे महावीर भगवान ग्रुप"????????

विषय- जीवन विज्ञान
वार- शनिवार, 27/01/2018
प्रश्न पत्र- 02

ध्वनि

प्रश्न १: महाप्राण ध्वनि की विधि क्या है ?
उत्तर  :

प्रश्न २: महाप्राण ध्वनि का आवाज पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर  :

प्रश्न ३: ध्वनि के चार प्रकार बताइए ?
उत्तर  :

प्रश्न ४: भाषा विवेक किसे कहते है ?
उत्तर  :

प्रश्न ५: भाषा समिति किसे कहते हैं ?
उत्तर  :

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

???????? MMBG परिवार ????????
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प्रेक्षाध्यान/जीव?

???????? "मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"????????

विषय- जीवन विज्ञान

वार- शनिवार, 20/01/2018

प्रश्न पत्र- 01

ध्वनि
प्रश्न १: डॉ. लेसर लसारिया कौन थे ?
उत्तर  :डॉ. लेसर लसारिया इटली के ध्वनि वैज्ञानिक थे |

प्रश्न २: महाप्राण ध्वनि के लाभ बताइए ?
उत्तर  :मन शांत होता है, स्वभाव अच्छा होता है और स्मृति का विकास होता है |

प्रश्न ३: मृदु भाषा का प्रभाव बताइए ?
उत्तर  :मृदु भाषा मधुर होती है | इससे परस्पर प्रेम व मैत्री बढ़ती है |

प्रश्न ४: कटु भाषा का प्रभाव बताइए ?
उत्तर  :भाषा से कडुवाहट पैदा होती है | परस्पर बैर और विरोध बढ़ता  है |

प्रश्न ५: वाणी विवेक से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर  :वाणी का सम्यक् उपयोग |

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

???????? "मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"????????

विषय- जीवन विज्ञान

वार- शनिवार, 20/01/2018

प्रश्न पत्र- 01

ध्वनि
प्रश्न १: डॉ. लेसर लसारिया कौन थे ?
उत्तर  :

प्रश्न २: महाप्राण ध्वनि के लाभ बताइए ?
उत्तर  :

प्रश्न ३: मृदु भाषा का प्रभाव बताइए ?
उत्तर  :

प्रश्न ४: कटु भाषा का प्रभाव बताइए ?
उत्तर  :

प्रश्न ५: वाणी विवेक से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर  :

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"????????

विषय - जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग

वार- शनिवार 
दिनांक- 23/12/2017 

स्वस्तिकासन 

यह एक ध्यानासन है, जो शुभ एवं मंगल का प्रतीक है।

विधि-आसन पर दोनों पावों को मोड़कर स्थिरता से बैठे। 

1. दाहिने पांव के पंजे को बाये घुटने और जंघा के मध्य स्थापित करें।

2. बाये पैर को उठाकर दाहिनी पिंडली और जंघा के मध्य लगाएं।

3. बाये पैर को सीधा करें।

4. दायें पैर को सीधा करें। पूर्व स्थिति में आ जाएं ।

समयः- अपनी क्षमता के अनुसार धीरे -धीरे अभ्यास ध्यान के लिए लम्बे समय तक बढ़ाया जा सकता है । 

लाभः-1. ध्यान के लिए उत्तम आसन है।

2. पैरों की झनझनाहट दूर होती है।

3. शरीर को स्थिरता प्रदान करता है।

4. पसीने की दुर्गन्ध दुर होती है।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं।????????????????????????

???????? -MMBG परिवार ????????

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"????????

विषय - जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग

वार- शनिवार 
दिनांक- 16/12/2017 

नोकासन

इस आसन में शरीर की मुद्रा नाव की तरह होने से इसे नॉकासन कहा गया है।

विधि-आसन पर पेट के बल लेटे।

1. श्वास भरते हुए हाथो को सिर की ओर आगे फैलाये, हथेलियां आपस में मिली हुई।
2. श्वास खाली करें । पैरों और हाथो को तानते हुए ऊपर उठायें।शरीर नॉका के आकार में आ जायेगा।
3. श्वास छोड़ते हुए हाथ और पैरो को नीचे लें आएं।
4. पूर्व स्थिति में आ जाएं ।

समयः- दो से तीन आवृत्ति या पांच मिनट। रुकने का समय दस सेकेण्ड ।अपनी क्षमता के अनुसार धीरे -धीरे अभ्यास को बढ़ाये।

लाभः-1. नाड़ी तंत्र के दोष दूर होते है।
2. शरीर सृदृढ़ और शक्तिशाली बनता है।
3. थाइरायड, थायमस, एड्रिनल एवं गुर्दे इससे प्रभावित होते है।
4. आलस्य दूर होता है।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं।????????????????????????

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

  ???????? "मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"????????

विषय- जीवन विज्ञान, प्रेक्षा ध्यान एवं योग
वार- शनिवार
दिनांक - 25/11/2017

पेट के बल करणीय आसन

भुजंगासन

1. श्वास भरते हुए गर्दन ऊपर उठाएं।
2. इसी स्थिति में फुफकार करते हुए श्वास को मुंह से निकाले।
3. श्वास भरते हुए हाथ के बल पर शरीर को पेड़ू तक ऊपर उठाएं आकाश की ओर देखें।
4. फुंफकार करते हुए श्वास मुंह से रेचन करें । मस्तक को भूमि पर लगाएं।

समय: तीन आवृत्ति अथवा तीन से पांच मिनट तक अभ्यास करें।

लाभ:

 1. सीना मजबूत होता है।
  2. क्रोध शांत होता है।
  3. मेरुदण्ड लचीला होता है। 
  4. गर्दन और पीठ का दर्द दूर होता है।            

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

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विषय- जीवन विज्ञान, प्रेक्षा ध्यान एवं योग
वार- शनिवार
दिनांक - 18/11/ 2017

पेट के बल करणीय आसन

मकरासन:-

1. दोनों कोहीनयो को सिने के समानान्तर रखें।

2. दोनों हथेलियों को ठुड्डी एवं जबडो पर टिकाए पैर के अंगूठे मिले रहें एड़िया खुली हो।

3.दोनों हाथो को सिर के आगे रखें गरमी में दायें कान को नीचे रखे।

4. आराम की स्थिति में आएं।

समय : एक मिनट से तीन मिनिट तक अथवा अपनी सुविधानुसार समय बढ़ा सकते है।

लाभ:

1. एकाग्रता बढ़ती है।
2.कमर व पेट को आराम मिलता है।
3.कब्ज दूर होती है।
4.पैरों का दर्द दूर होता है।            

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

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विषय- जीवन विज्ञान, प्रेक्षा ध्यान एवं योग
वार- शनिवार
दिनांक - 11/11/ 2017

मेरुदण्ड की क्रियाएँ

स्थिति- भूमि पर पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैर सीधे रखें। हाथो को कन्धों के समानान्तर सीधे फैलाए। हथेलियां भूमि को स्पर्श करें।

(1) आठवीं  क्रिया-

(i) श्वास भरते हुए हाथो को सिर की और फेलाए , हथेलियां परस्पर मिली रहें। बायीं ओर शरीर को गोलाकार बैलन की तरह घुमाए । श्वास छोड़े और पीठ के बल सीधे हो जाएं।

(i i) श्वास भर कर दायीं ओर शरीर को गोलाकार बैलन की तरह घुमाए।श्वास छोड़े ओर पीठ के बल सीधे हो जाएं।इस क्रिया को पांच बार दोहराएं।

अन्त में कायोत्सर्ग मुद्रा में आ जाएं।दो मिनिट कायोत्सर्ग के साथ क्रियाओं को सम्पन्न करें।

लाभ : - सम्पूर्ण शरीर की मालिश होती है। पैट , सीने एवं कमर की विकृतियां दूर होती है। मेरुदण्ड शक्तिशाली बनता है। स्नायु तंत्र के लिए अतिविशिष्ट क्रियाएं है।

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विषय- जीवन विज्ञान, प्रेक्षा ध्यान एवं योग
वार- शनिवार
दिनांक - 04/10/2017

मेरुदण्ड की क्रियाएँ

स्थिति- भूमि पर पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैर सीधे रखें। हाथो को कन्धों के समानान्तर सीधे फैलाए। हथेलियां भूमि को स्पर्श करें।

(1) सातवीं  क्रिया-

(i) श्वास भरते हुए कमर और नितम्ब के भाग को भूमि से ऊपर उठाकर तीव्र गति से भूमि पर गिराए।श्वास खाली करें।इस क्रिया को पांच बार दोहराएं।

(i i) श्वास भरते हुए एड़ी से कन्धे तक के भाग को भूमि से ऊपर उठाकर तीव्र गति से भूमि पर गिराएं। श्वास खाली करें। इस क्रिया को पांच बार दोहराएं।

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विषय- जीवन विज्ञान, प्रेक्षा ध्यान एवं योग
वार- शनिवार
दिनांक - 28 /10 / 2017

मेरुदण्ड की क्रियाएँ

स्थिति- भूमि पर पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैर सीधे रखें। हाथो को कन्धों के समानान्तर सीधे फैलाए। हथेलियां भूमि को स्पर्श करें।

(1) छठवी   क्रिया-

दोनों पैरों को घुटनों से मोड़े। दोनों पैरों के घुटने , पंजे एवं एड़िया मिली रहेगी । एड़िया नितम्बों से सटी रहें।

(i) श्वास भरें। श्वास खाली करते हुए पैरों  को बायीं ओर मोड़े, , बाये  पैर का घुटना भूमि को स्पर्श करे ।गर्दन दायीं ओर मुडेगी। श्वास भरते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं।

(i i) श्वास खाली करते हुए पैरो को  दायीं ओर मोड़े, दायें पैर का घुटनों भूमि  को स्पर्श करें ।गर्दन  बायीं  ओर मुड़ेगी ।श्वास  भरते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं।

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विषय- जीवन विज्ञान, प्रेक्षा ध्यान एवं योग
वार- शनिवार
दिनांक - 21 /10 / 2017

मेरुदण्ड की क्रियाएँ

स्थिति- भूमि पर पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैर सीधे रखें। हाथो को कन्धों के समानान्तर सीधे फैलाए। हथेलियां भूमि को स्पर्श करें।

(1) पांचवी   क्रिया-

दोनों पैरों को घुटनों से मोड़े। दोनों पैरों के मध्य इतना फासला रखें की एक पैर का घुटना दूसरे पैर की एड़ी को स्पर्श करें।

(i) श्वास भरें। श्वास खाली करते हुए पैरों  को बायीं ओर मोड़े, , दोनों पैरों के  घुटनों को  स्पर्श करे, दाहिने पैर का घुटना बाए पैर की एड़ी को स्पर्श करें। गर्दन दायीं ओर मुडेगी। श्वास भरते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं।

(i i) श्वास खाली करते हुए पैरो को  दायीं ओर मोड़े, दोनों पैरों के घुटनों को स्पर्श करें , बाये पैर का घुटना दायें पैर की एड़ी को स्पर्श करें।गर्दन बायीं  ओर मुड़ेगी ।श्वास  भरते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं।

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- जीवन विज्ञान, प्रेक्षा ध्यान एवं योग
वार- शनिवार
दिनांक - 02/09/2017

आसन -  पादहस्तासन

1. सीधे खड़े हो और अपने हाथ अपने शरीर के साइड में रखें। सांस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें - ध्यान रहें की कमर के जोड़ों से नहीं झुकना है।नीचे झुकते समय सांस छोड़े।

2. नीचे झुक, अपने हाथो को पैरों के नीचे दबा लें। उंगलियां पूरी तरह से पैरों के नीचे होनी चाहिए। फिर सिर और धड़ ऊपर करते हुए सांस अंदर लें।

3. आसन में रहते हुए श्वास बिल्कुल न रोकें। जब सांस अंदर लें, तब धड़ को थोडा सा उठायें और लम्बा करने की कोशिश करें। जब साँस को छोड़े, तब आगे की तरफ और गहराई से झुकने की कोशिश करें।

4. कोशिश करें की आपकी पीठ सीधी रहें। टाँगो को सीधा रखें।

5. अपने सिर को आराम से लटकने दे ताकि आपके गर्दन की मासपेशियों पर जोर न पडे।

6. धड़ को ऊपर लाते समय साँस अंदर लें। ध्यान रखेँ की अपनी पीठ को सीधी ही रखें और अपने कूल्हे के जोड़ों से ही वापस ऊपर आये।

लाभः-

1. मस्तिष्क को शांत करता है  और तनाव  व हल्के अवसाद में राहत देने में मदद करता है।

2. पाचन में सुधार लाता हैं।

3. थकान और चिंता कम करता है।

4. सिरदर्द और अनिद्रा से छुटकारा दिलाता है।

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विषय- जीवन विज्ञान, प्रेक्षा ध्यान एवं योग
वार- शनिवार
दिनांक - 12/08/2017

आसन- मत्स्यासन

विधि

1. कमर के बल लेट जाएं और अपने हाथो व पैरों को शरीर के साथ जोड़ लें।

2. हाथो को कूल्हों के नीचे रखें। अपनी कोहनियों को एक साथ जोड़ लें।

3. सांस अन्दर लेते हुए, छाती व सर को उठाएं।

4. अपनी छाती को उठाएं, सर को पीछे की ओर लें और सर की चोटी को जमीन पर लगायें।

5. सर को जमीन पर आराम से छुते हुए, अपनी कोहनियों को जोर से जमीन पर दबाएं, सारा भार कोहनियों पर डाले, सर पर नहीं। अपनी छाती को ऊँचा उठाए। जघा और पैरों को जमीन पर दबाएं।

6. जब तक हो सकें आसन में रहें, लम्बी गहरी सांसे लेते रहे। हर बाहर जाती सांस के साथ विश्राम करें।

7. सर को ऊपर उठाएं, छाती को नीचे करते हुए वापस आएं।दोनों हाथों को वापस शरीर के दायें- बायें लगा लें और विश्राम करें।

लाभः-

1. गर्दन व छाती में खिंचाव पैदा करता है।

2. गर्दन व कन्धों की मासपेशियों को तनाव मुक्त करता है।

3. सांस से सम्बन्धित बीमारियों का निवारण करता है और गहरी लम्बी सांस लेने में मदद करता है।

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"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- जीवन विज्ञान, प्रेक्षा ध्यान एवं योग

वार- शनिवार

दिनांक - 05/08/2017

आसन- जानुशिरासन

विधि

1. इस आसन को करने से पहले सबसे पहले दण्डासन की मुद्रा में बैठ जाएं तथा धीरे - धीरे दाये पैर को मोड़कर पंजे को बाये जाँघ में लगाए।

2.  अब एड़ियो को उपस्थ एवं गुदाभाग के बीच का भाग से सटाकर रखें।

3. अब दोनों हाथो से बाये पैर के पंजे या अंगूठे को पकड़ श्वास बाहर निकाल कर सर को घुटनों से लगायें।

4. फिर थोड़ी देर रुकते हुए श्वास अन्दर की और लें तथा साथ ही ऊपर की और उठते रहें।

लाभः-

1.  इस आसन के प्रयोग से पीठ , कमर एवं रीढ़ की हड्डियों में खिचाव आता है एवं हाइट बढाने में भी ये आसन काफी मददगार होता है।

2. बवासीर ,कब्ज , एसिडिटी एवं कुपचन सम्बन्धित विकारों को दूर कर ये डायबिटीज में भी रोकथाम करता है।इस आसन को करने से कमर एवं पेट में जमी चर्बी कम  होती है  साथ ही प्लीहा ,लिवर एवं आंतो के रोगों में भी ये काफी गुणकारी होता है।

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- जीवन विज्ञान, प्रेक्षा ध्यान एवं योग
वार- शनिवार
दिनांक - 22/07/2017

आसन- सर्वांगासन

विधि

1.अपनी पीठ के बल लेट जाएं। एक साथ अपने पैरों ,कूल्हे और फिर कमर को उठाए। सारा भर आपके कन्धों पर आ जाये। अपनी पीठ को अपने हाथो से सहारा दे।

2 . अपनी कोहनियों को पास में ले आये। हाथो को पीठ के साथ रखेँ , कन्धों को सहारा देते रहें। कोहनियों को जमीन पर दबाते हुए और हाथो को कमर पर रखते हुए, अपनी कमर और पैरों को सीधा रखें। शरीर का पूरा भार आपके कन्धों व हाथो के ऊपरी हिस्से पर होना चाहिए, न की आपके सर और गर्दन पर।

3. अपने पैरों को सीधा व मजबूत रखें। अपनी पैर की एडी को इस भाँति ऊँचा रखे जैसे आप छत को छुना चाहते हो। अपनी पैरों की उँगलियों को नाक की सिध में ले आएं।

4 . लम्बी गहरी साँसे लेते रहें और 30 से 60 सेकेण्ड तक आसन में ही रहें।

5. आसन से बाहर आने के लिए , घुटनों को धीरे से माथे के पास लें कर  आये। हाथो को जमीन पर रखेँ। बिना सर को उठायें धीरे -धीरे कमर को नीचे ले कर आये। पैरों को जमीन पर लें आये।कम से कम 60 सेकेण्ड तक विश्राम करें।

लाभः-

1.  हाथो व कन्धों को मजबूत बनाता है और पीठ को अधिक लचीला बनाता है।

2.  अधिक रक्त पहुँचाकर मस्तिष्क को पोषण करता है।

3. दिल की मासपेशियों को सक्रिय करता है और शुद्ध रक्त को दिल तक पहुँचाता है।


4. कब्ज से राहत देता है और पाचन क्रिया को सक्रिय बनाता है।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग
वार- शनिवार
दिनांक - 15/07/2017

आसन- हलासन

विधि:

1. एक स्वच्छ और समतल जगह पर दरी या चटाई बिछा दे।

2. जमीन पर पीठ के बल लेट जाए ।

3. दोनो पैरो को एक- दूसरे से मिलाकर रखना है । 

4. हथेलियो को कमर के पास जमीन से सटाकर रखे ।

5. मुंह आकाश की ओर रखे और आंखो को बंद कर दे।

6.  शरीर को ढीला रखे।

7. इस स्थिति मे आने के बाद दोनो पैरो को पीछे जमीन पर टिकाने का प्रयास करे।

8. कमर और पीठ को पीछे झुकाने के लिए हाथो का साहरा ले। 

9. अपनी क्षमतानुसार इस स्थिति  मे रूकने के बाद, धीरे-धीरे पीठ और पैर को जमीन से लगाना शुरू करे।

10 सम्पूर्ण आसन मे घुटनो को मोड़ना नही है।


लाभः-

1. मधुमेह के मरीजों के लिए लाभदायक है ।

2. मेरुदंड मजबूत व लचीला बनता है ।

3. पाचन प्रणाली और प्रजनन प्रणाली को मजबूत बनाता है ।

4. अनिद्रा, सरदर्द मे लाभ  मिलता है।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग
वार- शनिवार
दिनांक - 01/07/2017

आसन- शशांकासन

विधि:

1. श्वास भरते हुए हाथों को ऊपर लें जाएं। श्वास छोड़ते हुए से नीचे झुकें। फिर ऊपर आएं।

लाभः-

1. स्मृति बढ़ती  है।

2. क्रोध शांत  होता है।

3. रक्तचाप सामान्य होता है।

4. मानसिक शांति मिलती है।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग
वार- शनिवार
दिनांक - 24/06/2017

आसन- भुजंगासन

विधि:

1. श्वास भरते हुए शरीर को ऊपर उठाएं, श्वास मुख से निकलते हुए नीचे आएं।

लाभः-

1. गर्दन का दर्द दूर होता है।

2. क्रोध ,तनाव शांत होता है।

3. सीना मजबूत होता है।

4. श्वास की बीमारी में राहत।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग 

वार- शनिवार

17/06/2017

आसन-
 
मकरासन

1. पेट के बल लेटे ।
2.  कोहनी के बल चेहरे को हाथो पर टिकाए। 

समय : 1 से 3 मिनट 

लाभः-

1 थकान दूर होती है।
2 पेट एवं कमर दर्द ठीक होता है।

आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।????????????????????????

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विषय- जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग

वार- शनिवार, 03/06/2017

आसन

क. शशांकासन
 
विधिः  1. वंदनासन या वज्रासन की मुद्रा में श्वास को भरते हुए दोनों हाथो को ऊपर ले जाए।हथेलियां परस्पर मिली रहें।

2.  श्वास छोड़ते हुए नीचे झुकें मस्तक जमीन पर  हाथ  मिले हुए सीधे रहें। 

3.  श्वास भरते हुए पुनः हाथ ऊपर ले जाएं।

4. श्वास छोड़ते  हुए हाथ को नीचे लाएं घुटने पर रखे । 

समयः- दो मिनट से तीन मिनट तक आवृत्ति करें।

सावधानी:- निम्न रक्तचाप वाले इस आसन को न करें।

लाभः-
1  स्मरण शक्ति बढ़ती है।
2.  क्रोध शांत होता  है।
3. ब्लूडप्रेशर सामान्य होता  है।
4. मानसिक शांति प्राप्त होती  है।

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विषय- जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग

वार- शनिवार, 26/05/2017

आसन

(ग ) कोणासन (1 मिनट )
आवृत्ति : दो
 
विधिः 1.सीधे खड़े रहें, दोनों पैरों के एडी-पंजे मिले हुए, दोनों हाथ शरीर से सटाकर रखें।

2.श्वास भरते हुए सीधे हाथ  को सामने से  ऊपर सिर की ओर ले जाएं।

3.  श्वास छोड़ते हुए कमर से बाई और झुके , दाई बाजू कान को स्पर्श करेगी, बाए पैर घुटने से सीधा रखें ।

4.श्वास भरते हुए कमर से सीधे हो जाएं ।

5. श्वास छोड़ते हुए सामने से हाथ  वापस नीचे लाएं ( बाए हाथ से इस क्रम को दोहराएं ) 

लाभः 1.कमर लचीली होती  है।
2.चेहरा तेजस्वी होता  है।
3.फेफड़े मजबूत होते है।
4.कन्धों का दर्द दूर  होता है।

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

"मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग 

वार- शनिवार, 20 /05/2017

आसन

( ख ) ताड़ासन  आसन (1 मिनट ) 
आवृत्ति : दो  
 
विधिः  1. एड़िया मिली हुई , पंजे खुले हुए , दोनों हाथो की हथेलियां मिलाकर अंगुलियों को आपस में फंसाए , पलटकर नाभि के नीचे रखें ।

2.  श्वास भरते हुए हाथो को ऊपर सिर की ओर ले जाएं।

3.  श्वास छोड़ते हुए पंजो के बल खड़े होकर पुरे शरीर को तनाव दे। दृष्टि सामने रखें।

4. श्वास भरते हुए एड़िया वापस जमीन पर लाएं।

5. श्वास छोड़ते हुए हाथो को सामने से वापस नीचे लाएं और शरीर को ढ़ीला छोड़ दे।

लाभः  1. आलस्य दूर होता है।
2.  कब्ज दूर होती है।
3. लंबाई बढ़ती है।
4. तनाव दूर  होता है।

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

"महासभा-मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- जीवन विज्ञान, प्रेक्षा ध्यान एवं योग

वार- शनिवार, 13 /05/2017

आसन-

स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क रहता है। शरीर स्वस्थ रहता है, तब पढ़ने में मन लगता है। आसन स्वास्थ्य एवं अन्तः स्त्रावी ग्रन्थियों के हार्मोन्स में परिवर्तन का निमित्त बनता है।आसनों का चुनाव स्वास्थ्य, स्मृति विकास और ग्रन्थि-तंत्र के स्रावों के संतुलन को ध्यान में रखकर किया गया है।

( क ) समपाद आसन (1 मिनट ) 
आवृत्ति : एक ( खड़े रहकर ) 
 
विधिः-

1. सीधे खड़े रहें। दोनों पैर के एड़ी-पंजे आपस में मिले हुए, हथेलियां शरीर से सटाकर रखें।

2.  दृष्टि सामने किसी एक बिंदु पर केन्द्रित करें।

3.  सामान्य श्वास-प्रश्वास चलता रहें।

4. क्षमता अनुसार एकटक देखते रहें।

लाभः-

1. आँखो की ज्योति बढ़ती है।
2. थकान दूर होती है।
3. एकाग्रता बढ़ती है।
4. रक्त संचार संतुलित होता है।

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

"महासभा-मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- "जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग"

वार- शनिवार, 06/05/2017

मंत्र चिकित्सा मुद्राओं के साथ

19. स्मृति दौर्बलय:  - ज्ञान  मुद्रा  करते समय  "ॐ नमो नाणस्स  "  अथवा ॐ ऐं ॐ नमः" मंत्र का जाप 10 मिनट नियमित करें

20. श्वास रोग : सूर्य मुद्रा लिंग मुद्रा करते समय  "ह्रीं" मंत्र का जाप 10 मिनट करें।  

21. पैर एवं घुटने का दर्द : वायु मुद्रा व अपान वायु मुद्रा करते समय "लां  लां लां" का दीर्घ  उच्चारण  फुफ्फूस पर  ध्यान लगाकर करने से दर्द में राहत मिलती है। 

22. अम्लता (एसिडिटी) : अपानवायु  मुद्रा व  अपान मुद्रा करते समय "वं" मंत्र का जाप 10  मिनट करने से अच्छा लाभ  होता है।

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

"महासभा-मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग

वार- शनिवार, 29 /04/2017

मंत्र चिकित्सा मुद्राओं के साथ

19. स्मृति दौर्बलय :  - ज्ञान  मुद्रा  करते समय  "ॐ नमो नाणस्स"  अथवा ॐ ऐं ॐ नमः" मंत्र का जाप 10 मिनट नियमित करें

20. श्वास रोग: सूर्य मुद्रा लिंग मुद्रा करते समय "ह्रीं"मंत्र का जाप 10 मिनट करें।  

21. पैर एवं घुटने का दर्द : वायु मुद्रा व अपान वायु मुद्रा करते समय "लां  लां लां" का  दीर्घ  उच्चारण  फुफ्फूस पर  ध्यान लगाकर करने से दर्द में राहत मिलती है। 

22.अम्लता (एसिडिटी): अपानवायु  मुद्रा व  अपान मुद्रा करते समय "वं" मंत्र का जाप 10  मिनट करने से अच्छा लाभ  होता है।

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"महासभा-मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप

विषय- जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग

वार- शनिवार, 15/04/2017

मंत्र चिकित्सा मुद्राओं के साथ

15. ईर्ष्या :  - वरुण मुद्रा  के साथ "आयुतुले पयासु" मंत्र का जाप 10 मिनट करने से व्यक्ति दूसरे से ईर्ष्या नहीं करता है ।

16. प्रवंचना : सुरभि मुद्रा के साथ "सोह उज्जुय भुयस्स" मंत्र का जाप 10 मिनट करने से प्रवंचना की आदत से छुटकारा मिल जाता  है।

17. चिड़चिड़ापन : नमस्कार  मुद्रा के साथ "हूँ" मंत्र का जाप 10 मिनट करने से स्वभाव में परिवर्तन  घटित होने लगता  है।

18. अमंगल भाव : नमस्कार मुद्रा के साथ "अरहंता मंगल" का जाप 10  मिनट करने से मंगलभावो का निर्माण होता है।

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"महासभा-मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

विषय- जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान एवं योग

वार- शनिवार, 08/04/2017

 मंत्र चिकित्सा मुद्राओं के साथ

11. असहिष्णुता- वरुण मुद्रा व प्राण मुद्रा के साथ  "धारेज्जा पियमप्पियं" मंत्र का जाप 10 मिनट करने से असहिष्णु व्यक्ति भी धैर्यवान बन जाता है।

12. अधीरता - सुरभि मुद्रा के साथ "निःशेषम्" मंत्र का जाप 10 मिनट करने से अधीरता से छुटकारा पाकर व्यक्ति धीरजवान  हो जाता है।

13. चिन्ता -आकाश मुद्रा के साथ "ॐ ह्रीं श्रीं भगवते पार्श्वदेवाय हर - हर स्वाहा"  मंत्र का जाप 10 मिनट करने से चिंता खत्म होती है।

14. अविनय- नमस्कार मुद्रा के साथ "विणओ धम्मस्स मूलं" मंत्र का जाप 10 मिनट करने से व्यक्ति विन्रम बनता है


आगम असम्मत्त कुछ लिखा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं

 महासभा-MMBG परिवार

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विषय :- जीवन विज्ञान और प्रेक्षा ध्यान एवं योग

दिनांक :- 11/03/2017


  मंत्र चिकित्सा मुद्राओं के साथ

मंत्र चिकित्सा का अपना अलग महत्व है। यदि मुद्राओं के साथ अलग -अलग बीमारियों में मंत्र का जप किया जाए तो उसका लाभ का प्रतिशत कई गुना बढ़ जाता है। कौन सी बीमारी में कौन सी मुद्रा करते हुए किस मंत्र का जाप कितने समय तक करना चाहिए। 

समय - कम से कम 10 मिनट मंत्र का जाप करें।

1.ज्ञान के विकास के लिए (posture of knowledge)- ज्ञान की वृद्धि के लिए स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए ॐ णमो नाण स्स का जाप "ज्ञान मुद्रा के साथ करने से स्मरण शक्ति का विकास होता है।

2.आँखो को स्वस्थ रखने के लिए -प्राण मुद्रा (vital energy posture) के साथ ॐ नमो चक्खु दयाण मंत्र का दस मिनट जाप करने से आँखो के सभी दोष और सभी प्रकार की बीमारियां दूर होकर आँखो की ज्योति बढ़ती है।

प्रस्तुति :- "महासभा-मेरे महाश्रमण भगवान ग्रुप"

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प्रेक्षाध्यान/जीव?

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विषय- तत्त्वज्ञान
वार- शुक्रवार, 10/03/2017
प्रश्न पत्र- 07

जीव तत्त्व (संसारी जीव)-

Q.1- संसारी जीव के छः भेद कौनसे हैं?
Ans. संसारी जीव के छः प्रकार-
(1) पृथ्वीकायिक, 
(2) अप्कायिक, 
(3) तेजस्कायिक, 
(4) वायुकायिक, 
(5) वनस्पतिकायिक, 
(6) त्रसकायिक।

Q.2- संसारी जीव के चौदह भेद कौनसे हैं?
Ans. संसारी जीव के चौदह प्रकार- 
(1) सूक्ष्म एकेन्द्रिय के दो भेद- अपर्याप्त और पर्याप्त,
(2) बादर एकन्द्रिय के दो भेद
अपयर्याप्त और अपर्याप्त
(3) द्वीन्द्रिय के दो भेद- अपर्याप्त और पर्याप्त,
(4) त्रीन्द्रिय के दो भेद- अपर्याप्त और पर्याप्त,
(5) चतुरीन्द्रिय के दो भेद- अपर्याप्त और पर्याप्त,
(6) असंज्ञी पंचेन्द्रिय के दो भेद- अपर्याप्त और पर्याप्त,
(7) संज्ञी पंचेन्द्रिय के दो भेद- अपर्याप्त और पर्याप्त।

Q.3- संसारी जीव के चौबीस भेद कौनसे है?
Ans. संसारी जीव के चौबीस प्रकार-
(1) सात नारकी का दण्डक ,
(2-11) भवनपति देवों के दण्डक
(12) पृथ्वीकाय का दण्डक,
(13) अप्काय का दण्डक,
(14) तेजस्काय का दण्डक, 
(15) वायुकाय का दण्डक, 
(16) वनस्पतिकाय का  दण्डक,
(17) द्वीन्द्रिय का दण्डक,
(18) त्रीन्द्रिय का दण्डक,
(19) चतुरीन्द्रिय का दण्डक,
(20) तिर्यँच पंचेन्द्रिय का दण्डक,
(21) मनुष्य पंचेन्द्रिय का दण्डक,
(22) व्यंतर देवों का दण्डक,
(23) ज्योतिष्क देवों का दण्डक,
(24) वैमानिक देवों का दण्डक ।

Q.4- जीव के सबसे अधिक भेद कितने आये हैं?
Ans. आगमों में जीव के सबसे अधिक 563 भेद बतलाये हैं।

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 विषय- जीवन विज्ञान और प्रेक्षाध्यान एवं योग

दिनांक -04/03/2017

प्रश्न पत्र :- 28

प्रश्न -कौन सी अंगुलियां किस तत्व का प्रतिनिधित्व करती है ❓
उत्तर- भिन्न-भिन्न अंगुलियां भिन्न-भिन्न तत्वों का प्रतिनिधत्व करती है।

  अंगुली का नाम

अंगूठा (Thumb )
तर्जनी (Index finger)
मध्यमा (Middle finger)
अनामिका Ring finger)
कनिष्ठिका (small finger)

तत्व का नाम

अग्नि (Fire or sun 
वायु (Air - wind )
आकाश (Sky -space ) 
पृथ्वी (Earth) 
जल (Water )

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